लखनऊ न्यूज डेस्क: वर्ल्ड साइकल डे आने वाला है और एक बार फिर से साइकल चलाने के फायदों की खूब चर्चा हो रही है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि अगर लोग साइकल चलाना भी चाहें, तो चलाएं कहां? ट्रैफिक का इतना बुरा हाल है कि सड़क पर सुरक्षित तरीके से साइकल चलाना बहुत मुश्किल है। शहर में भले ही कुछ साइकल ट्रैक बनाए गए हैं, लेकिन क्या वे सच में इस्तेमाल लायक हैं?
रिपोर्टर ने गोमतीनगर के पत्रकारपुरम चौराहे से हुसड़िया की तरफ लगभग 500 मीटर इलाके का जायजा लिया। शुरुआत में ही ट्रैक पर ट्रैफिक पुलिस का बूथ बना मिला। थोड़ा आगे बढ़ने पर नाले का ढका न होना और दोपहिया वाहनों की अवैध पार्किंग ने रास्ता जाम कर रखा था। रिपोर्टर की साइकल बार-बार फंस रही थी। कट के पास खड़ी गाड़ियों ने हालात और बदतर बना दिए। ऐसे में साइकल चलाना तो छोड़िए, पैदल चलना भी मुश्किल हो गया।
करीब 400 मीटर लंबे इस ट्रैक पर ज्यादातर हिस्से में अतिक्रमण ने कब्जा जमा रखा था। कहीं ठेले लगे थे, तो कहीं खोमचे वालों ने रास्ता घेर रखा था। कुछ हिस्सों में नाले की मरम्मत के लिए हटाए गए मलबे को ट्रैक पर ही छोड़ दिया गया था। गाड़ियां जगह-जगह पार्क थीं, जिससे साइकल ट्रैक पार्किंग एरिया जैसा लगने लगा।
पत्रकारपुरम चौकी के पीछे ट्रैक पर 20 से ज्यादा गाड़ियां खड़ी थीं। हालांकि इस हिस्से में ठेले थोड़े कम मिले, लेकिन हालत अब भी चिंताजनक थी। CMS स्कूल और सेंट जोसफ अस्पताल के पास ट्रैक पूरी तरह टूटा हुआ था और अवैध दुकानों व कुर्सी-मेजों ने जगह घेर रखी थी। संयुक्त राष्ट्र ने अप्रैल 2018 में वर्ल्ड साइकल डे की शुरुआत इसीलिए की थी कि दुनिया भर में सस्ता, हेल्दी और इको-फ्रेंडली ट्रांसपोर्ट बढ़ावा पाए। मगर ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।