ताजा खबर
हिना खान के साथ 'नामाकूल' पर काम करना रहा कूल और बवाल' साक्षी म्हाडोलकर   ||    दीपशिखा देशमुख ने युवा महिलाओं से मतदान करने का आग्रह किया: उनके विकास का एक सक्षक्त सन्देश   ||    क्रैश होने के बाद नहीं मिल रहा ईरानी प्रेसिडेंट का हेलीकाॅप्टर, तलाश में जुटी 40 टीमें   ||    फिलीपींस की मेयर पर लगा चीन की जासूस होने का आरोप, कुंडली निकालने में जुटी जांच एजेंसियां   ||    Iran President Helicopter Crash: हेलीकॉप्टर क्रैश में इब्राहिम रईसी की मौत होने की आशंका   ||    हेलीकॉप्टर क्रैश में ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत, विदेश मंत्री भी नहीं रहे   ||    क्या ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के हेलीकॉप्टर क्रैश में मोसाद का हाथ?   ||    पर्सनल लोन होने के बाद भी और पैसा चाहिए? बैलेंस ट्रांसफर करेगा मदद, जानें- क्या हैं इसके फायदे और नु...   ||    Petrol Diesel Price Today: सोमवार को कितने रुपये लीटर मिल रहा है पेट्रोल-डीजल? जानें ईंधन के रेट   ||    नहीं बिकेगा हल्दीराम ब्रांड! प्रमोटर्स बोले- ऑफर से खुश नहीं हैं हम   ||   

सपा की सोशल इंजीनियरिंग : ‘माय’ वोट बैंक में ‘प्लस’ करने वालों को सपा देगी तरजीह

Photo Source :

Posted On:Wednesday, July 14, 2021

विधानसभा चुनाव के लिए सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव की सोशल इंजीनियरिंग करीब-करीब तय है। पार्टी के परंपरागत वोट बैंक ‘माय’ (मुस्लिम और यादव) में अन्य जातियों का वोट जोड़ सकने वाले दावेदारों को तरजीह दी जाएगी। इसके अलावा प्रत्येक मंडल में गैर यादव पिछड़ी जातियों के नेताओं पर भी उस अनुपात में दांव लगाया जाएगा, जिससे जातिगत समीकरण सधे रहें, साथ ही उस जाति विशेष के लिए सपा का संदेश भी चला जाए।
 
 
समाजवादी पार्टी ने सोशल इंजीनियरिंग के इस फार्मूले के तहत तैयारियां प्रारंभ कर दी हैं। इसमें अलग-अलग जातियों के कुछ खास विधान परिषद सदस्यों की मदद भी ली जा रही है। सपा सूत्रों का कहना है कि पिछले दिनों हुए विधान परिषद के चुनाव में पार्टी को इस सोशल इंजीनियरिंग का सकारात्मक नतीजा भी मिल चुका है। वाराणसी से स्नातक चुनाव में कायस्थ जाति के युवा आशुतोष सिन्हा सपा के टिकट पर इसी प्रयोग से परिषद में पहुंचे। सपा के नेता भी यह स्वीकार करते हैं कि कायस्थ समाज परंपरागत रूप से भाजपा के ज्यादा नजदीक है।
 
 
विधानसभा चुनाव में सोशल इंजीनियरिंग के इसी तरह के प्रयोगों को व्यापक तौर पर अमल में लाने की रणनीति बनाई गई है। इसकी गंभीरता का अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि अगर भाजपा का भी कोई नेता इस फार्मूले में फिट बैठता है और वह सपा से लड़ने का इच्छुक है तो पार्टी उसे टिकट देने से परहेज नहीं करेगी। पार्टी का मानना है कि ‘माय’ फैक्टर में अपनी जाति का वोट जोड़ सकने वाले नेताओं से ही उसके लिए बहुमत का रास्ता खुलेगा।
 
सूत्रों का कहना है कि सपा उन राजनीतिक परिवारों के सदस्यों को टिकट देने से भी गुरेज नहीं करेगी, जो भाजपा और उसकी सरकार के निशाने पर हैं या रहे हैं। बशर्ते, वे पार्टी की सोशल इंजीनियरिंग पर खरे उतरते हों। यानी, जिताऊ हों। साथ ही उन्हें टिकट देने से उस जाति व समुदाय विशेष में सपा के प्रति अच्छा संदेश भी जाता हो। इस कैटेगरी में मुस्लिम चेहरे भी शामिल होंगे। इसमें सपा इसकी भी परवाह नहीं करेगी कि उसके इन निर्णयों को भाजपा अपने पक्ष में भुनाने (ध्रुवीकरण) का प्रयास करेगी।
 


लखनऊ और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



You may also like !

मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. Lucknowvocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.