लखनऊ न्यूज डेस्क: नगर निगम ने अंततः मार्ग प्रकाश व्यवस्था के काम में लापरवाही को देखते हुए निजी कंपनी ईईएसएल (एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड) को काम से हटा दिया है। पिछले सात सालों से करीब दो लाख स्ट्रीट लाइटों की देखरेख की जिम्मेदारी इस कंपनी के पास थी। इस दौरान लगातार लापरवाही के आरोप लगे, नोटिस भेजे गए, बिलों में कटौती की गई, लेकिन सुधार नहीं हुआ। नगर निगम ने अब यह जिम्मेदारी खुद संभाल ली है।
ईईएसएल हर साल 42 करोड़ रुपये का भुगतान लेकर भी सेवा स्तर में कोई सुधार नहीं कर रही थी। नगर निगम की बैठकों से लेकर शासन स्तर तक कंपनी को हटाने की मांग कई बार उठी। केंद्रीय राज्य मंत्री कौशल किशोर ने भी इस पर सख्ती जताई थी, लेकिन अनुबंध में शासन की भागीदारी होने के कारण निर्णय अटका रहा। हालांकि, 31 मई को कंपनी का अनुबंध खत्म हो गया था, लेकिन दबाव के चलते उसे तीन महीने का विस्तार देने की कोशिश हुई, जिस पर ‘अमर उजाला’ ने रिपोर्ट प्रकाशित की। अब जाकर नगर निगम ने यह बड़ा कदम उठाया है।
करीब सात साल पहले शहर में एलईडी लाइटें लगाई गई थीं ताकि मरम्मत और बिजली का खर्च घटे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। नगर निगम के लगभग 500 कर्मचारी, जो नियमित, संविदा और कार्यदायी हैं, पहले से कार्यरत थे। हर महीने लगभग 90 लाख रुपये इन कर्मचारियों पर खर्च होते थे। इसके अतिरिक्त 10 लाइट टावरों के संचालन पर भी 10 लाख रुपये खर्च होते थे, जिससे नगर निगम को दोहरा आर्थिक बोझ उठाना पड़ता था, क्योंकि लाइटों की मरम्मत कंपनी के बजाय खुद करनी पड़ रही थी।
नगर निगम के इस निर्णय से उम्मीद की जा रही है कि अब स्ट्रीट लाइटों की मरम्मत और रखरखाव में पारदर्शिता और जिम्मेदारी आएगी। साथ ही, दोहरे खर्च से भी राहत मिलेगी। लंबे समय से लटकी इस कार्रवाई से जनता को भी लाभ मिलेगा, क्योंकि अब लाइट खराब होने पर उनकी शिकायतों पर तेजी से कार्रवाई संभव हो सकेगी।