लखनऊ न्यूज डेस्क: लखनऊ में प्रस्तावित नए सर्किल रेट को लेकर आई आपत्तियों और सुझावों पर गुरुवार को कलेक्ट्रेट भवन में सुनवाई हुई। सुबह 10 बजे से एनआईसी सभागार में आयोजित इस सुनवाई में डीएम विशाख जी और एडीएम एफआर राकेश सिंह ने लोगों की बात सुनी। कई लोग ऐसे भी थे जो "अर्द्धशहरी क्षेत्र" का मतलब ठीक से नहीं समझ पाए थे, लेकिन अधिकारियों ने विस्तार से जानकारी दी तो वे संतुष्ट हो गए।
कुछ लोगों ने यह आपत्ति जताई कि सर्किल रेट उनकी अपेक्षा से कम क्यों बढ़ाए गए हैं। उदाहरण के लिए, काकोरी क्षेत्र से आए कुछ लोगों ने कहा कि उनकी जमीन की कीमत और बढ़नी चाहिए थी। अधिकारियों ने समझाया कि पहले जिस जमीन का मूल्य 25 लाख रुपये प्रति बीघा था, अब उसे अर्द्धशहरी क्षेत्र में गिनते हुए 37 लाख 50 हजार रुपये माना जा रहा है। यानी प्रति वर्ग मीटर दर 5000 से बढ़कर 7500 रुपये कर दी गई है।
दूसरी ओर, कुछ लोगों ने यह सवाल उठाया कि जिन इलाकों में सुविधाएं कम हैं, वहां सर्किल रेट क्यों बढ़ाया गया। इस पर अधिकारियों ने बताया कि सर्किल रेट तय करने का आधार केवल जमीन की खरीद-फरोख्त की दरें होती हैं, न कि इलाके की मौजूदा सुविधाएं। सुविधा से जुड़े मसले विकासकर्ताओं से संबंधित होते हैं, ना कि रेट निर्धारण से।
सुनवाई के दौरान 2 से 17 जुलाई के बीच दर्ज की गई कुल 49 आपत्तियों और सुझावों को सुना गया। अब इन सभी पर समिति निर्णय लेगी। इसके बाद एक अगस्त से लखनऊ के शहरी क्षेत्रों में 25% और ग्रामीण क्षेत्रों में 15% तक सर्किल रेट की नई दरें लागू की जाएंगी।