मुंबई, 21 मार्च, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार के बजट को मंजूरी दे दी। बीते दिन CM अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर दिल्ली का बजट रोकने का आरोप लगाया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार से विज्ञापन समेत तीन मुद्दों पर जवाब मांगा था। इस पर दिल्ली सरकार ने रिप्लाई नहीं किया था। इसलिए बजट अप्रूव नहीं हो सका था। इधर, केंद्र से मंजूरी मिलते ही अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा में चर्चा के दौरान केंद्र पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, बजट पर केंद्र की आपत्ति असंवैधानिक और निराधार हैं। देश के 75 साल के इतिहास में किसी भी सरकार का बजट नहीं रोका गया। हमने मंगलवार को बजट उनकी आपत्तियों को बिना बदलाव के भेजा और उन्होंने इसे मंजूरी दे दी। इतना अहंकार ठीक नहीं है।
केजरीवाल ने गृह मंत्रालय की आपत्तियों को लेकर कहा, बजट में बुनियादी ढांचे के लिए 20 हजार करोड़ आवंटित किए गए थे, विज्ञापन के लिए 500 करोड़। हमने कभी नहीं सुना कि 500 करोड़ 20 हजार करोड़ से अधिक है। केंद्र सरकार ने नीचे से ऊपर तक अनपढ़ों की जमात बैठा रखी है। दिल्ली का बजट अब विधानसभा में बुधवार को पेश किया जाएगा। केजरीवाल ने कहा, दिल्ली सरकार काम करना चाहती है, लड़ाई नहीं। लड़ाई से किसी का भला नहीं होता। हम प्रधानमंत्री के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं, हम कोई झगड़ा नहीं चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि, अगर प्रधानमंत्री दिल्ली जीतना चाहते हैं तो उन्हें पहले शहर के लोगों का दिल जीतना होगा। उन्होंने कहा, आप (PM) बड़े भाई हैं और मैं छोटा भाई।
CM केजरीवाल ने इस मसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री जी दिल्ली के लोगों से आप क्यों नाराज हैं। कृपया बजट मत रोकिए। केजरीवाल ने कहा कि देश के 75 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब दिल्ली में बजट पेश होने से एक दिन पहले केंद्र ने इस पर रोक लगा दी है। ये सीधे तौर पर केंद्र सरकार की गुंडागर्दी है। वित्त मंत्री कैलाश गहलोत ने दिल्ली विधानसभा में बताया कि बजट की फाइल को अप्रूवल के लिए दोबारा गृह मंत्रालय भेज दिया गया है। उन्होंने बजट रोके जाने पर अफसोस जताते हुए कहा कि जनता का चुना हुआ मुख्यमंत्री और कैबिनेट होने का क्या फायदा, जब एक बजट तक पास न कर पाएं।
केजरीवाल के बयान पर दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर (LG) ऑफिस ने स्टेटमेंट जारी किया। जिसमें बताया गया कि LG वीके सक्सेना ने बजट पास कर कुछ नोट्स जोड़कर उसे 9 मार्च को दिल्ली सरकार के पास भेज दिया था। दिल्ली सरकार ने फिर इसे राष्ट्रपति से अप्रूव कराने के लिए गृह मंत्रालय को भेजा। कैलाश गहलोत ने अपने बयान में कहा, अस्पष्ट कारणों के चलते दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी ने 3 दिन तक इस लेटर को अपने पास छिपाकर रखा। मुझे इस लेटर के बारे में सोमवार दोपहर 2 बजे पता चला है। मुझे शाम 6 बजे यह फाइल मिली है और हमने रात 9 बजे तक गृह मंत्रालय की सारी चिंताओं को लेकर अपना जवाब LG ऑफिस को भेज दिया था। दिल्ली के बजट को लेट कराने में दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी और फाइनेंस सेक्रेटरी की भूमिका की जांच की जानी चाहिए। इस पर LG ऑफिस ने जवाब दिया कि हमें रात 9:25 बजे फाइल मिली और LG के अप्रूवल के बाद इसे 10.05 बजे मुख्यमंत्री कार्यालय भेज दिया गया था।
दिल्ली के वित्त मंत्री कैलाश गहलोत ने आरोपों को निराधार और गलत बताया, उन्होंने कहा कि दिल्ली का बजट 78,800 करोड़, इनमें से 22,000 करोड़ रुपए बुनियादी ढांचे पर खर्च के लिए और सिर्फ 550 करोड़ रुपए विज्ञापनों पर खर्च के लिए हैं। उन्होंने कहा, विज्ञापन पर खर्च पिछले साल के बजट के बराबर ही है। वहीं, दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली के वित्त मंत्री ने ऑन रिकॉर्ड बताया है कि हमने बजट तैयार कर के 10 मार्च को ही केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास मंजूरी के लिए भेज दिया। केंद्र सरकार ने उस पर कुछ सवाल लगाकर 17 मार्च को बजट दोबारा भेजा, लेकिन ये मुख्यमंत्री, वित्त मंत्री को नहीं बल्कि मुख्य सचिव नरेश कुमार को भेजा गया। मुख्य सचिव के ऊपर आरोप लग रहे हैं कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार के काम को रोकने के लिए वो हर प्रयास कर रहे हैं। सौरभ भारद्वाज ने ये भी दावा किया कि सोमवार को जब दिल्ली सरकार के बजट को रोकने की खबरें चलीं तो शाम 6 बजे दिल्ली के मुख्य सचिव ने वित्त मंत्री को बताया कि बजट पर केंद्र सरकार की ओर से रुकावटें आ गई हैं। उन्होंने सवाल किया कि मुख्य सचिव इतना बड़ा षड्यंत्र किसके कहने पर कर रहे हैं। भारद्वाज ने पूछा कि केंद्र सरकार इस पर चुप क्यों है, एलजी क्यों चुप हैं। इसलिए क्योंकि ये षड्यंत्र केंद्र सरकार के इशारे पर हो रहा है।