मुंबई, 2 फरवरी, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। सिविल एविएशन मिनिस्ट्री ने मंत्रालय ने बताया कि पिछले साल घरेलू उड़ान के दौरान 546 फ्लाइट्स में तकनीकी खराबी आई। इनमें से सबसे ज्यादा 256 बार इंडिगो एयरलाइंस के विमान के साथ ऐसी दिक्कतें आईं। इसके बाद स्पाइसजेट के विमान के साथ 143 बार और विस्तारा एयरलाइंस के विमानों में 97 बार तकनीकी गड़बड़ी का सामना करना पड़ा। इन तीन एयरलाइंस कंपनियों के अलावा एयर इंडिया को 64 बार, गो फर्स्ट को 7 बार, अकासा एयरलाइंस को 6 बार, एयर एशिया (इंडिया) को 8 बार, एलायंस एयर को 3 बार, फ्लाईबिग को 1 बार, ट्रूजेट और ब्लूडार्ट एविएशन को एक-एक बार उड़ान के दौरान तकनीकी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था।
सिविल एविएशन मिनिस्ट्री के मुताबिक, 2022 में तकनीकी खराबी के जहां 546 मामले सामने आए, वहीं 2021 में ऐसी घटनाएं 544 बार हुई थीं। यानी पिछले दो साल में एयरलाइंस कंपनियों को उड़ान के दौरान 1090 बार तकनीकी दिक्कतों का सामना किया। लोकसभा में एक सवाल का लिखित जवाब देते हुए केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री वीके सिंह ने बताया कि पिछले साल ट्रेनिंग के दौरान 8 विमान भी हादसे का शिकार हुए हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या कम लागत वाली एयरलाइंस के कारण देश में अधिक तकनीकी गड़बड़ी की खबरें आती हैं, सिंह ने इससे इनकार किया। सिविल एविएशन मिनिस्ट्री ने संसद में यह भी बताया कि पिछले साल ट्रेनिंग के दौरान 8 विमान हादसे हुए, जिसमें सिर्फ एक दुर्घटना की जांच पूरी हो पाई है। मंत्रालय ने बताया कि देश में अभी 35 फ्लाइंग ट्रेनिंग ऑर्गनाइजेशन (FTOs) 53 बेस से ट्रेनिंग प्रोग्राम ऑपरेट कर रहे हैं। ये DGCA से अप्रूव हैं। सिंह ने यह भी बताया कि देश में पायलट्स की कमी नहीं है। पिछले साल केंद्र सरकार ने 1165 कमर्शियल पायलट को लाइसेंस जारी किए थे।