नई दिल्ली, मई 19 - एयर इंडिया के खिलाफ अमेरिका में केयर्न एनर्जी के मुकदमे से एयरलाइंस के निजीकरण पर कोई असर नहीं होगा। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि एयरलाइंस की निजी खरीदार को बिक्री केयर्न एनर्जी के दावे को खारिज करते यह साफ कर देगी कि यह सरकार से कानूनी रूप से अलग है।
वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी के विनिवेश की प्रक्रिया में कानूनी मसले हमेशा आते हैं और सरकार उससे निपटने में सक्षम है। उन्होंने कहा, 'केयर्न एनर्जी सरकार पर अपना बकाया वसूली के लिए दबाव डाल रही है और यह बताने की कोशिश कर रही है कि एयर इंडिया की संपत्तियां भारत सरकार की संपत्ति है।' उन्होंने कहा कि एयर इंडिया अलग इकाई है।
शुक्रवार को केयर्न ने अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर के दक्षिणी जिले के जिला न्यायालय में मुकदमा दायर कर मांग की है कि केयर्न एनर्जी की 1.2 अरब डॉलर अवार्ड की वसूली एयर इंडिया की संपत्ति से की जाए। अधिकारी ने कहा, 'अभी यह विनिवेश के पहले का चरण है जब यह विचार सामने आया है कि एयर इंडिया पर देनदारी बनती है। यह दावा एयर इंडिया के खिलाफ नहीं है और अगर इसके शेयर निजी कंपनी को हस्तांतरित किए जाते हैं तो सरकार से एयरलाइंस अलग है, यह साफ हो जाएगा।'
अधिकारी ने कहा कि अभी अमेरिकी न्यायालय ने नोटिस जारी किया है और वह एयर इंडिया को मिला नहीं है। नोटिस मिलने पर एयरलाइंस को 60 दिन में जवाब देना है। उन्होंने कहा कि सरकार व एयरलाइंस दोनों ही इसे चुनौती देंगे।